भारतीय राज्य किस तरह बस्तर के बच्चों की हत्या कर रहा है

Children of Bastar
शॉल ओढ़े हुए रमली, छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक अस्पताल में अपने माँ से लिपटी हुई. फोटो : द पोलिस प्रोजेक्ट के लिए श्रेया खेमानी

This piece has been translated to Hindi by Manish Azad. Read the original in English here.

रमली 17 साल की है, लेकिन जब अस्पताल में वह अपनी माँ के पीछे से निकल कर सामने आई तो वह महज 14 साल की लग रही थी. उसकी रीढ़ सीधी थी और उसकी दृढ़ और नर्म आँखें  पैनी निगाहों से हमें देख रही थीं. एक शॉल में लिपटी हुई वह, बेहद खामोश थी और गहरी निगाहों से सब कुछ देख रही है. यदा-कदा वह मुस्कुरा देती थी. छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में स्थित, भैरमगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से मिले पर्चे पर बस इतना लिखा था कि कोई बाहरी वस्तु उसकी रीढ़ के पास धंस गई थी और बिना किसी व्याख्या के उसे दूसरे अस्पताल भेजने की संस्तुति की गई थी. रमली के साथ उसके मातापिता राजे और विज्जा व साथ में पास के एक गांव की एक युवती रीना थी. वे भैरमगढ़ से दंतेवाड़ा, दंतेवाड़ा से जगदलपुर अस्पताल दर अस्पताल दौड़भाग करते रहे. किसी ने भी उन्हें यह नहीं…


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Shreya Khemani is a teacher and activist based in Raipur, Chhattisgarh. After 10 years of working at a trade union-run school, she and other women activists from the union have begun an out of school learning space to extend their critical education practice beyond primary school. She is an active member of various women’s and human rights groups in Chhattisgarh.